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मंदिर का इतिहास

बंधन सिंह और तरकुलहा देवी

  • स्वतंत्रता सेनानी बंधु सिंह की आस्था
  • छापामार युद्ध की रणनीति
  • 1858 में फाँसी का बलिदान
  • तरकुल वृक्ष का चमत्कार

कहा जाता है कि फाँसी के समय कई बार फंदा टूट गया, इसे देवी की कृपा माना गया। उसी के बाद मंदिर और तरकुल वृक्ष की महिमा और भी बढ़ गई।

और जानें

सेवाएँ

मंदिर में परंपराएँ

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दान सफलता दर

तरकुलहा देवी मंदिर के विकास और भक्तों की आस्था को और सशक्त करने हेतु दान की परंपरा प्रचलित है।

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स्वयंसेवक

हमारे स्वयंसेवकों की उपलब्धियाँ

तरकुलहा देवी मंदिर के स्वयंसेवक समाजसेवा, भक्तों की सहायता और धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

हमारे स्वयंसेवकों ने मंदिर के मेले और चैत्र रामनवमी उत्सव के सफल आयोजन में अहम योगदान दिया है।

गरीबों की मदद और भोजन वितरण कार्यक्रमों में भी स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

स्वच्छता, सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित करने में भी स्वयंसेवक अग्रणी रहते हैं।

मंदिर सदस्य

यश चोपड़ा

मंदिर सदस्य

मुकेश सिंह

पोर्टफोलियो

पूजा

Cooking Space Booking
Professional Cooks
Prasad & Food Serving
Family & Group Dining
Local Cooking Support
Special Festival Services
मुण्डन संस्कार
आरती एवं पूजा सेवा
ज्योतिष परामर्श
भक्त निवास

प्रशंसापत्र

हमारे भक्त क्या कहते हैं

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यदि धन से दूसरों की भलाई हो सके तो ही उसका मूल्य है, अन्यथा वह केवल अनर्थ है और जितनी जल्दी उससे छुटकारा मिले उतना अच्छा।

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सच्ची आस्था और सेवा ही जीवन को सार्थक बनाती है।

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मंदिर में आकर आत्मा को शांति और मन को सुकून मिलता है।

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त्योहारों के समय की सजावट और वातावरण मन को मोह लेता है। ऐसा अनुभव कहीं और नहीं मिलता।

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यहाँ का प्रसाद बहुत ही स्वादिष्ट और पवित्र भाव से परोसा जाता है। परिवार सहित आने का आनंद मिला।

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यहाँ किए गए हवन और पूजा से मन को गहरा संतोष मिला। पुजारीजी का आशीर्वाद अमूल्य है।

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भक्त निवास की सुविधाएँ स्वच्छ और आरामदायक हैं, जिससे रुकना सुखद अनुभव बना।

हम आपकी मदद कर सकते हैं

देवदूत हमेशा तैयार

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